Sunday, April 18, 2010

वो रुलाकर ...


वो रुलाकर हंस न पाया देर तक

जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक ,


भूलना चाहा अगर उस को कभी

और भी वो याद आया देर तक ,


भूखे बच्चों की तस्सल्ली के लिए

माँ ने फिर पानी पकाया देर तक ,


गुनगुनआता जा रहा था इक फकीर

धूप रहती है ना साया देर तक ।

- Nawaz Deobandi

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